विज्ञान युग से प्राकृतिक खेती
प्राकृतिक खेती वह खेती होती है, जिसमे फसलों पर किसी भी प्रकार का रासायनिक कीटनाशक एवं उर्वरको का प्रयोग नहीं किया जाता है। सिर्फ प्रकृति के दौरान निर्मित उर्वरक और अन्य पेड़ पौधों के पत्ते खाद, पशुपालन, गोबर खाद एवं जैविक कीटनाशक उपयोग लाया जाता है यह एक प्रकार से विविध प्रकार की कृषि प्राणली है। जो फसलों और जीव-जन्तु पेड़ो को एकीकृत करके रखती हैं।[1]
प्राकृतिक खेती, कृषि की प्राचीन पद्धति है। यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है। प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता है, बल्कि प्रकृति में आसानी से उपलब्ध होने वाले प्राकृतिक तत्वों, तथा जीवाणुओं के उपयोग से खेती की जाती है | यह पद्धति पर्यावरण के अनुकूल है तथा फसलों की लागत कम करने में कारगर है | प्राकृतिक खेती में जीवामृत (जीव अमृत), घन जीवामृत एवं बीजामृत का उपयोग पौधों को पोषक तत्व प्रदान करने के लिए किया जाता है | इनका उपयोग फसलों पर घोल के छिड़काव अथवा सिंचाई के पानी के साथ में किया जाता है प्राकृतिक खेती में कीटनाशकों के रूप में नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्निअस्त्र, सोठास्त्र, दषा पड़नी, नीम पेस्ट, गोमूत्र का इस्तेमाल किया जाता है।[2]
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